Monday 19 December 2016

महादशा

|||महादशा-अन्तर्दशा|||                                                                 कुंडली दिखाते समय हर व्यक्ति की यही इच्छा अधिकांश रहती है मेरी कुंडली में ग्रहो की क्या स्थिति है, ग्रह क्या योग बना रहे है आदि।कोई ग्रह अपना विशेष और अधिक से अधिक प्रभाव अपनी महादशा अन्तर्दशा के दौरान दिखाता है।नव ग्रहो में प्रत्येक ग्रह की महादशा-अन्तर्दशा का एक निश्चित समय होता है।जिस ग्रह की महादशा में जातक का जन्म होता है उसी ग्रह की महादशा से क्रम से आगे की ग्रहो की महादशा जातक को प्रभावित करती है।ग्रहो की महादशा अन्तर्दशा का अर्थ होता है ग्रहो की समयावधि जो ग्रहो की महादशा क्रम के अनुसार समयावधि इस प्रकार है,सूर्य की महादशा 6वर्ष, चंद्र की महादशा 10 वर्ष, मंगल की महादशा 7वर्ष, राहु की महादशा 18वर्ष, गुरु की महादशा 16वर्ष, शनि की महादशा 19वर्ष, बुध की महादशा 17वर्ष, केतु की महादशा 7वर्ष, शुक्र की महादशा 20वर्ष की होती है।ग्रहो की महादशा के समय कुछ समय के लिए बीच बीच में ग्रहो की अन्तर्दशाये भी आती है जो अपना प्रभाव दिखाती है।अन्तर्दशाओ का समय भी निश्चित होता है।जिस भी ग्रह की महादशा में जिस भी ग्रह की अन्तर्दशा का समय निकालना होता है उस ग्रह की महादशा से उस ग्रह की अन्तर्दशा के समय से गुणा करके निकाल लिया जाता है जिससे यह पता चल जाता है अमुक ग्रह की महादशा में अमुक ग्रह की अन्तर्दशा कितने समय तक जातक पर रहेगी।चंद्र की महादशा में गुरु की अन्तर्दशा का समय पता करना हो तो इस प्रकार करेंगे, चंद्र की महादशा का समय है 10वर्ष अब चंद्र की महादशा में गुरु की अन्तर्दशा का समय ज्ञात करना है तो अब हमे देखना होगा गुरु की महादशा का समय कितने वर्ष का होता है ऊपर सभी ग्रहो की महादशा का समय बताया गया है👆ऊपर देखने पर पता चलता है गुरु की महादशा का समय 16वर्ष का है तो अब चंद्र की महादशा में गुरु की अन्तर्दशा जानने के लिए चंद्र की महादशा को गुरु की महादशा से गुणा कर देंगे चंद्र महादशा10× गुरु महादशा16=160, अब चंद्र महादशा को गुरु की महादशा समयावधि से गुणा करने पर 160 संख्या आयी इसका अर्थ है जातक पर चंद्र में गुरु की महादशा 1साल 6महीने तक रहेगी।160 में तीन संख्याये आई है इसमें प्रथम संख्या 1 का मतलब है 1साल, 6का मतलब है 6 महीने और 0का मतलब कुछ भी नही इस तरह चंद्र महादशा  में गुरु की अन्तर्दशा 1साल 6महीने रहेगी।उदाहरण के लिए 160 न आकर 165 संख्या आती तो इसमें 5 का मतलब है दिन।तब यह अन्तर्दशा इस प्रकार होती 1साल 6महीने 5दिन।।                        महादशा में अन्तर्दशा ज्ञात करने पर 3संख्या आने पर पहली का मतलब वर्ष होता है दूसरी का मतलब महीने और तीसरी का मतलब दिन होता है।अगर संख्या दो में ही आये तो इसका मतलब केवल साल और महीने होंगे दिन नही।इसी तरह अन्य ग्रहो की महादशा में अन्य ग्रहो की अन्तर्दशा का समय निकाला जाता है।अन्तर्दशा के बाद प्रत्यन्तर्दशा, सुष्मदशा आदि दशाएं भी होती है लेकिन मुख्य रूप से महादशा अन्तर्दशा ही अपना विशेष प्रभाव जातक पर डालती है।इन्ही महादशा अन्तर्दशा में जातक की कुंडली से सम्बंधित फल जातक को विशेष रूप से प्रभावित करते है और अपने से सम्बंधित पूरा पूरा शुभ-अशुभ फल अपनी स्थिति के अनुसार देते है।

Saturday 17 December 2016

ग्रहो को बलि कैसे करें

नवग्रहों को अनुकूल एवं बलि बनाने के कुछ आसान उपाय
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सूर्य⭐
🔹सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पूष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।

🔹रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उसे पीना चाहिए।

🔹ताँबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण किया जा सकता है। लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ भरकर खिलाने चाहिए। गेहूँ को जमीन पर नहीं डालना चाहिए।

🔹किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य पर जाते समय घर से मीठी वस्तु खाकर निकलना चाहिए।

🔹हाथ में मोली (कलावा) छः बार लपेटकर बाँधना चाहिए।

🔹लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में डालना चाहिए।

🔹सूर्य के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपायों हेतु रविवार का दिन, सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा) तथा सूर्य की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

चन्द्रमा⭐
🔹व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए।

🔹रात्रि में ऐसे स्थान पर सोना चाहिए जहाँ पर चन्द्रमा की रोशनी आती हो। ऐसे व्यक्ति के घर में दूषित जल का संग्रह नहीं होना चाहिए।

🔹वर्षा का पानी काँच की बोतल में भरकर घर में रखना चाहिए।

🔹वर्ष में एक बार किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य करना चाहिए।

🔹सोमवार के दिन मीठा दूध नहीं पीना चाहिए।

🔹सफेद सुगंधित पुष्प वाले पौधे घर में लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।

🔹चन्द्रमा के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपायों हेतु सोमवार का दिन, चन्द्रमा के नक्षत्र (रोहिणी, हस्त तथा श्रवण) तथा चन्द्रमा की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

मंगल⭐
🔹लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए।

🔹जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए।

🔹बन्धुजनों को मिष्ठान्न का सेवन कराने से भी मंगल शुभ बनता है।

🔹लाल वस्त्र लेकर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिए।

🔹मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर लेकर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए।

🔹बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए।

🔹अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।

🔹मंगल के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपायों हेतु मंगलवार का दिन, मंगल के नक्षत्र (मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

बुध⭐
🔹अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए तथा निरन्तर उसकी देखभाल करनी चाहिए। बुधवार के दिन तुलसी पत्र का सेवन करना चाहिए।

🔹बुधवार के दिन हरे रंग की चूड़ियाँ हिजड़े को दान करनी चाहिए।

🔹हरी सब्जियाँ एवं हरा चारा गाय को खिलाना चाहिए।

🔹बुधवार के दिन गणेशजी के मंदिर में मूँग के लड्डुओं का भोग लगाएँ तथा बच्चों को बाँटें।

🔹घर में खंडित एवं फटी हुई धार्मिक पुस्तकें एवं ग्रंथ नहीं रखने चाहिए।

🔹अपने घर में कंटीले पौधे, झाड़ियाँ एवं वृक्ष नहीं लगाने चाहिए। फलदार पौधे लगाने से बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।

🔹बुध के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपायों हेतु बुधवार का दिन, बुध के नक्षत्र (आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती) तथा बुध की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

गुरु⭐
🔹व्यक्ति को अपने माता-पिता, गुरुजन एवं अन्य पूजनीय व्यक्तियों के प्रति आदर भाव रखना चाहिए तथा महत्त्वपूर्ण समयों पर इनका चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लेना चाहिए।

🔹सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।

🔹मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए।

🔹किसी भी मन्दिर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए।

🔹परस्त्री / परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।

🔹गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए।

🔹गुरुवार के दिन आटे के लोयी में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकर गाय को खिलानी चाहिए।

🔹गुरु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपायों हेतु गुरुवार का दिन, गुरु के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व-भाद्रपद) तथा गुरु की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

शुक्र⭐
🔹काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।

🔹शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।

🔹किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।

🔹किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय १० वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।

🔹अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।

🔹किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।

🔹शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।

🔹शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपायों हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

शनि⭐
🔹शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल के तेल या सरसो तल का दीपक जलाएँ।

🔹शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।

🔹शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।

🔹भिखारी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए।

🔹भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।

🔹किसी दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।

🔹घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।

🔹शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपायों हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

राहु⭐
🔹ऐसे व्यक्ति को अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए।

🔹हाथी दाँत का लाकेट गले में धारण करना चाहिए।

🔹अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए। सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है।

🔹दिन के संधिकाल में अर्थात् सूर्योदय या सूर्यास्त के समय कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नही करना चाहिए।

🔹यदि किसी अन्य व्यक्ति के पास रुपया अटक गया हो, तो प्रातःकाल पक्षियों को दाना चुगाना चाहिए।

🔹झुठी कसम नही खानी चाहिए।

🔹राहु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपायों हेतु शनिवार का दिन, राहु के नक्षत्र (आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

केतु⭐
🔹भिखारी को दो रंग का कम्बल दान देना चाहिए।

🔹नारियल में मेवा भरकर भूमि में दबाना चाहिए।

🔹बकरी को हरा चारा खिलाना चाहिए।

🔹ऊँचाई से गिरते हुए जल में स्नान करना चाहिए।

🔹घर में दो रंग का पत्थर लगवाना चाहिए।

🔹चारपाई के नीचे कोई भारी पत्थर रखना चाहिए।

🔹किसी पवित्र नदी या सरोवर का जल अपने घर में लाकर रखना चाहिए।

🔹केतु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपायों हेतु मंगलवार का दिन, केतु के नक्षत्र (अश्विनी, मघा) शुभ है वास्तु शास्त्र के कुछ आसान उपायों द्वारा जाने कि किस काम के लिए कौन-सी दिशा होती है शुभ
वास्तु शास्त्र में ऊर्जा का विशेष महत्त्व है। वास्तु शास्त्र में हर दिशा का संबंध किसी न किसी खास ऊर्जा से माना जाता है इसलिए वास्तु के अनुसार, काम की दिशा भी हमारी सफलता-असफलता का कारण बन सकती है।
इसलिए वास्तु में हर काम के लिए एक निश्चित दिशा का महत्व माना जाता है। यदि वास्तु के इन नियमों का पालन किया जाए तो मनुष्य को हर काम में सफलता मिलती है।

1🔹पढाई करते समय विद्यार्थी का मुंह पूर्व दिशा की ओर हो तो यह सबसे अच्छा माना जाता है।
2🔹 घर के मंदिर में पूजा करते समय व्यक्ति का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना शुभ होता है। यदि ऐसा संभव न हो तो मुंह पूर्व दिशा की ओर भी रख सकते हैं।
3🔹 दुकान या ऑफिस में काम करते समय वहां के मुखिया का मुंह हमेशा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। इससे काम में हमेशा सफलता मिलती है।
4🔹 खाना बनाते समय ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि खाना बनाने वाले का मुंह पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर हो।
5🔹 सोते समय दक्षिण दिशा की ओर सिर होना चाहिए। इसके अलावा किसी भी अन्य दिशा में सिर करके सोना अशुभ माना जाता है।
6🔹खाना खाते समय मुंह पूर्व और उत्तर दिशा की ओर होना सबसे अच्छा होता है। इससे शरीर को भोजन से मिलने वाली ऊर्जा पूरी तरह से मिलती है।
7🔹 किसी भी नए काम की शुरुआत उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर ही करनी चाहिए। उत्तर दिशा को सफलता की दिशा माना जाता है।
8🔹 घर में टी.वी. ऐसी जगह लगाना चाहिए कि टी.वी. देखते हुए घर के सदस्यों का चेहरा दक्षिण या उत्तर-दक्षिण दिशा की ओर हो।
9🔹घर की उत्तर ओर दक्षिण दिशा की ओर मेन गेट नहीं बनाना चाहिए?

संकलित
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